दयानन्द वैदिक कॉलेज रूपी जिस वटवृक्ष के नीचे आज हम बैठे है उसका बीजारोपण उद्दालक ऋषि की नगरी उरई के तीन महानुभावों ने 20 जुलाई सन् 1951 ई0 में किया था-सर्व श्री किशोरी लाल जी खरे, बाबू मूलचन्द्र जी अग्रवाल और बाबू रमाशंकर सक्सेना। स्वनाम धन्य श्री किशोरी लाल जी खरे को इस कालेज के संस्थापक प्राचार्य होने का गौरव प्राप्त है। वस्तुतः आपकी प्रतिभा, लगन और वैचारिक वैशिष्ट्य का परिचय है - बुन्देलखण्ड का गौरव- दयानन्द वैदिक कालेज, उरई। कहा भी गया है कि नींव का पत्थर जितने ही सुदृढ़ होंगे, भवन उतना ही गौरवशाली, वैभवशाली होगा। इस कालेज के अतिरिक्त भी उन्हें उनकी प्रतिभा के अनुरूप अनेक स्थानों पर कार्य करने का आंमत्रण मिला, परन्तु वे तन, मन, धन से अपने इस स्वप्न को साकार रूप देने में लगे रहे, जिसमें उनका साथ दिया दानवीर बाबू मूल चन्द्र अग्रवाल और कर्मयोगी बाबू रमाशंकर सक्सेना जी ने। यद्यपि श्री किशोरी लाल जी खरे यहाँ पर एक इंजीनिरिंग कालेज खोलना चाहते थे, परन्तु वह संभव नहीं हो सका। उन तीन विभूतियों के भागीरथ प्रयास का परिणाम यह कालेज, आज लगभग 62 वर्ष की सुदीर्घ यात्रा पूरी कर अपनी गरिमा और प्रतिष्ठा के साथ सतत् प्रगतिपथ पर है।
इस महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर हिन्दी साहित्य का शिक्षण सन् 1951 ई0 से प्रारम्भ हो गया था तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं के संचालन की व्यवस्था सन् 1958 में की गई। इस कालेज में हिन्दी विभाग के प्रथम प्रोफेसर एवं अध्यक्ष श्री देवकी नन्दन श्रीवास्तव थे। उनके द्वारा लिखित शोध-ग्रंथ ‘तुलसीदास की भाषा’ अपना विशिष्ट स्थान रखता है। तुलसी के अतिरिक्त उन्हांेने जायसी, सूर, केशव तथा घनानन्द आदि कवियों पर भी महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे। उन्होने लखनऊ विश्वविद्यालय और फिर ‘विश्वभारती शांति निकेतन’ में अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। डॉ0 देवकी नन्दन श्रीवास्तव के पश्चात् प्रो0 जगदीश नारायण अग्रवाल हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने। कुछ समय तक उन्होने भिण्ड के एक महाविद्यालय में प्राचार्य के पद पर कार्य किया, बाद में पुनः यहाँ आकर इसी विभाग में कार्यरत् रहे। इसी विभाग में सन् 1958 ई0 से सन् 1965 ई0 तक श्री मक्खन लाल पाराशर जी सेवारत रहे। पाराशर जी सन् 1965 ई0 के पश्चात् यहाँ से फिरोजाबाद चले गये। श्री पाराशर जी एवं श्री अग्रवाल जी ने अनेक ग्रंथो की रचना की। श्री जगदीश प्रसाद अग्निहोत्री ने इस विभाग में सन् 1961 ई0 से सन् 1966 ई0 तक कार्य किया। इसके पश्चात् वे यहाँ से बद्री विशाल कालेज, फर्रूखाबाद चले गये। विभाग के विभिन्न शिक्षकों का विवरण इस प्रकार है-
डॉ0 ब्रजवासी लाल- झाँसी में रेलवे के तार बाबू के रूप में अपनी सेवाएं प्रारम्भ कर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति तक की सुदार्ध यात्रा तय करने वाले डॉ0 ब्रजवासी लाल जी श्रीवास्तव ने 21/09/1964 को महाविद्यालय के प्राचार्य के पद का कार्यभार ग्रहण किया। आप हिन्दी विभाग के अध्यक्ष भी रहे। प्राचार्य के व्यस्ततम पद पर पहते हुए भी हिन्दी और हिन्दी विभाग के उन्नयन हेतु कार्यरत रहे। इस महाविद्यालय को बुन्देलखण्ड का अग्रणी शिक्षा-संस्थान बनाने का गौरव भी उनके नाम दर्ज है। उनकी उपलब्धियाँ इस प्रकार है।-
-‘मध्यकालीन काव्य में करूण रस’ विषय पर पीएच0डी0 की उपाधि
-‘‘हिन्दी वाक्य संरचना’’ विषय पर डी0लिट् की उपाधि
-वाक्य संरचना पर यह प्रथम शोध ग्रंथ
-हिन्दी भाषा विज्ञान में प्रथम डी0लिट् धारक मनीषी
-हिन्दी साहित्य का वृहद इतिहास भाग-2 में लेखन (संपादक-धीरेन्द्र वर्मा)
-डॉ0 शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति) के साथ मिलकर भोपाल से ‘तुलसीदल’ मासिक पत्रिका का कई वर्षो तक सफल संपादन किया।
-‘मन के क्षितिज’ पुस्तक म0प्र0 शासन द्वारा पुरस्कृत
-अध्यात्मिक कार्यक्रमों में सतत् सक्रिय सहयोग
-प्रख्यात समाज सेवी संस्था ‘मंगलम’ के संस्थापक स्तम्भ।
-दिनाँक 04/03/1978 से 12/12/1978 तक तथा दिनाँक 04/03/1980 से 16/06/1980 तक दो बार बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति रहे।
डॉ0 राम स्वरूप खरे- शताधिक पुस्तकों के प्रणयनकर्ता विश्व गायत्री परिवार, मथुरा के मूर्धन्य कवि, नवजागरण का शंख निनादित करने वाले सुप्रसिद्व गीतकार डॉ0 राम स्वरूप खरे 01/08/1966 से 31/06/1993 तक हिन्दी विभाग में कार्यरत रहे। आप विभागाध्यक्ष भी रहे। सौम्य व्यक्तित्व के धनी डॉ0 स्वरूप जी मंचो पर लोकप्रिय कवि के रूप में जाने जाते है। आपकी उपलब्धियाँ इस प्रकार है-
-‘‘मध्यकालीन हिन्दी साहित्य में भारतीय नारी प्रतिरूपों का ऐतिहासिक सर्वेक्षण’’ विषय पर पी-एच0डी0 की उपाधि
-विभिन्न विषयों पर अब तक लगभग 24 पुस्तकें प्रकाशित
-लगभग 120 पुस्तकें अप्रकाशित
-लगभग 20 पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन
-पण्डित, साहित्य श्री, काव्यश्री, बाल साहित्य सुधाकर, राष्ट्रगौरव, सहस्त्राब्दि सम्मान, ‘बुन्देल बागीश’ युगकवि आदि विभिन्न सम्मानों से अलंकृत 35 राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में अध्यक्षता एवं शोधपत्रों का वाचन
- आकाशवाणी छतरपुर, ग्वालियर एवं मथुरा से रचनाओं का प्रसारण
- 17 छात्र/छात्राओं को पीएच0डी0 की उपाधि आपके निर्देशन में प्राप्त हुई
- सरस्वती (मासिक), कल्याण, अखण्ड ज्योति, गीता सन्देश, अमर उजाला, जागरण, बुन्देलखण्ड आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित
-आपके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चार लघुशोध प्रबन्ध बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी में प्रस्तुत
-एक शोध प्रबन्ध अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से संपन्न, पर्यवेक्षक-डॉ0 आदित्य
-संप्रति- अंतर्राष्ट्रीय त्रैमासिक पत्रिका ‘शोधार्णव’ का आठ वर्षो से सम्पादन
-अखिल भारतीय बुन्देली साहित्य एंव संस्कृति सेवा संस्थान (पंजीकृत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष
-अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य परिषद, उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय अध्यक्ष
डॉ0 राम शंकर द्विवेदी- अनुवाद के लिए साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त डॉ0 रामशंकर द्विवेदी का जन्म 9 सितम्बर 1937 ई0 को जालौन जनपद (उ0प्र0) के कुठौद गांव में हुआ। आपकी आरम्भिक शिक्षा छत्रसाल इंटर कोलज, जालौन, स्नातक दयानन्द महाविद्यालय उरई, एम0ए0 (हिन्दी साहित्य) प्रथम श्रेणी में आगरा विश्वविद्यालय से, पी-एच0डी0 कानपुर विश्वविद्यालय से की। आपके शोध का विषय था ‘‘निराला और रवीन्द्र नाथ के सौन्दर्य बोध का तुलनात्मक अध्ययन’’। आप 01/08/1966 से 08/09/1997 तक हिन्दी विभाग में कार्यरत रहे। यहीं पर आपने रीडर व हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया और सन् 1998 ई0 में सेवानिवृत्त हुए। आपने सन् 1963 ई0 से ही लेखन कार्य प्रारम्भ कर दिया था।
बांग्ला से हिन्दी अनुवादक के रूप में अपनी पहचान बना चुके डॉ0 द्विवेदी के अनुवाद एवं समीक्षाएं देश की अधिकाश चर्चित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है। आपने लगभग दो दर्जन पुस्तकों का लेखन, अनुवाद व संपादन किया है। एक उच्चकोटि के लेखक एवं अनुवादक के रूप में उनकी ख्याति है। आधुनिक काव्य पर उनका अच्छा अधिकार रहा है। वे 08/07/2000 तक विभाग के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। आपने महाविद्यालय को अपनी विशिष्ट सेवायें दी। आपकी उपलब्धियाँ इस प्रकार है-
-विद्यार्थी जीवन से ही ‘ राष्ट्रधर्म’ में लेखन कार्य किया
-‘वागर्थ’ ‘दस्तावेज’ आदि देश की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित
- सौ से अधिक समीक्षा तथा निबन्ध आदि प्रकाशित
- बंगला से हिन्दी अनुवादक के रूप में भी प्रतिष्ठित
-आप वर्तमान साहित्य पत्रिका के बांग्ला साहित्य विशेषांक के अतिथि संपादक एंव पांचजन्य स्वर्ण जयंती वर्ष पर राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका के सह संपादक के रूप में सम्मानित हुए। राष्ट्रधर्म के रामानन्द चट्टोपाध्याय अंक के अतिथि संपादक।
-आपको ‘ झाँसी की रानी’ अनुदित कृति के लिए 1999-2000 ई0 में भारतीय अनुवाद परिषद का द्वि-वागीश पुरस्कार; एंव 2004 ई0 में इसी कृति के लिए साहित्य अकादमी का अनुवाद पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त हिन्दी प्रचार सभा हैदराबाद, मानस संगम कानपुर, हैदराबाद लेखक संघ एंव संस्कार भारती द्वारा सम्मानित
-सम्प्रति लेखन कार्य में व्यस्त
डॉ0 दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव- आपने दिनाँक 05/08/1967 से दिनाँक 30/06/2001 तक इस विभाग में कार्य किया तथा सन् 1996 ई0 से लेकर सन् 2000 ई0 तक हिन्दी-विभाग के अध्यक्ष रहे। आपने सन 1962 ई0 में आगरा विश्वविद्यालय से पी-एच0डी0 की उपाधि प्राप्त की। सन् 1995 ई0 में बु0वि0 झाँसी से डी0लिट्0 की उपाधि प्राप्त की। पुनः 2002 में लखनऊ विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान विभाग से डी0लिट् की उपाधि प्राप्त की। विभाग आपके योगदान को विस्मृत नहीं कर सकता। आपकी उपलब्धियाँ इस प्रकार है-
-आठ छात्रों को आपके निर्देशन में पी-एच0डी0 की उपाधि मिली
-सरस्वती नागरी प्रचारिणी पत्रिका, हिन्दी अनुशीलन, तुलसीदल आदि पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित
- गद्य-विविधा और निबन्धालोक नामक पुस्तकें डॉ0 राम शंकर द्विवेदी के सहयोग से संपादित
-विश्वविद्यालय की हिन्दी पाठयक्रम परिषद के अध्यक्ष
-विश्वविद्यालय की हिन्दी अनुसंधानोपाधि समिति के संयोजक
-कार्यकारिणी परिषद के सदस्य
-महासभा, विद्वत् परिषद एवं कला संकाय के सदस्य
-महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका का अनेक बार सम्पादन
-हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार
-‘रीतिमुक्त कार्य में क्रिया पद संरचना’ विषय पर पी-एच0डी0
-‘मध्यकालीन हिन्दी काव्य के परिप्रेक्ष्य में भक्ति आन्दोलन के विभिन्न सोपान’ विषय पर डी0लिट्0 की उपाधि (बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय से)
-‘संत साहित्य में क्रिया पद संरचना’ विषय पर लखनऊ विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान विभाग से डी0लिट्0 की उपाधि
-सम्प्रति-ग्वालियर में निवास
डॉ0 कृष्ण जी- 04/08/1969 से 03/08/1991 तक आप इस विभाग में रहे। राम भक्ति काव्य एवं कृष्ण भक्ति काव्य पर आपका अच्छा अधिकार था। सरल व्यक्तित्व के स्वामी डॉ0 कृष्ण जी आध्यात्मिक कार्यों में रूचि रखते थे। पाठ्येतर गतिविधियों में आपका पर्याप्त सहयोग रहता था। आपकी उपलब्धियाँ इस प्रकार है-
- मानस में क्रिया विशेषण और अव्यय’ विषय पर पी-एच0डी0 की उपाधि
- ‘शिव चरित’ विषय पर डी0लिट् की उपाधि
- 1991 में यहाँ से जाने के बाद वृन्दावन के एक महाविद्यालय में प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहे।
डॉ0 बृजेश कुमार- आप 04/09/1972 से 19/11/97 तक विभाग में कार्यरत रहे। सतत कार्यो में व्यस्त रहना आपको प्रिय था। 1970 से 1972 तक वे सेन्ट जेवीयर्स कालेज, बोकारो में अंग्रेजी के प्रवक्ता रहे। इस महाविद्यालय में सितम्बर 1972 से दिसम्बर 1974 तक अंग्रजी- प्रवक्ता पद पर कार्य किया। 1974 से हिन्दी विभाग में अपनी सेवाएं प्रदान की। आपकी उपलब्धियां इस प्रकार है-
-सांस्कृतिक एवं साहित्यक गतिविधियों में विशेष रूचि
-लगभाग 30 नाटकों का निर्देशन किया
-‘थैक्यू मिस्टर ग्लाड’ एवं ‘बकरी’ नाटक का मंचन देश के विभिन्न शहरों में हुआ
-एक लघु फिल्म का निर्देशन भी किया
-विभाग तथा महाविद्यालय में पाठ्येतर क्रियाकलापों में सतत् व्यस्त रहे।
डॉ0 यामिनी श्रीवास्तव- आपने दिनाँक 05/08/1969 से 31/07/2001 तक विभाग में कार्य किया। सहज सरल व्यक्तित्व और मृदु वाणी उनकी अपनी पहचान थी जो उन्हे विशिष्ट बनाती है। वे 08/07/2000 से 31/07/2001 तक विभागाध्यक्ष के पद पर रहीं। आपका शैक्षिक विवरण इस प्रकार है-
-‘जालौन जिले के स्थान नामों का व्युत्पत्तिपरक अध्ययन’ शीर्षक से शोध कार्य
- विश्वविद्यालय की विद्यापरिषद की सदस्य
- विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद एवं कला संकाय की सदस्य
- हिन्दी की पाठ्यक्रम समिति तथा शोध समिति की संयोजिका
- महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका का सम्पादन
- आपके शोध निर्देशन में 5 छात्र/छात्राओं को पी-एच0डी0 की उपाधि प्राप्त
- ‘मन से’ तथा ‘उन्मुक्त प्रवाह’ नामक दो पुस्तकें प्रकाशित
- सम्प्रति नोएडा में निवास तथा लेखनकार्य में व्यस्त
डॉ0 नीलम मुकेश- आपने 18 नवम्बर 1974 को हिन्दी विभाग में प्रवक्ता के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। पठन-पाठन के साथ-साथ महाविद्यालय के पाठ्येतर क्रिया-कलापों में आपकी सदैव सक्रिय भूमिका रहती है। आपका शैक्षिक विवरण इस प्रकार है।
-‘छायावाद काल छायावादेतर गीतिकाव्य’ विषय पर पी-एच0डी0 की उपाधि
-चार छात्र/छात्राओं को आपके निर्देशन में पी-एच0डी0 की उपाधि प्राप्त
-सम्प्रति दो छात्र/छात्राएं शोधरत
-महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘‘अभिनव ज्योति’’ का विगत छः सत्रों का सम्पादन
-विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में गीत/ग़ज़ल प्रकाशित
-देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित
-देश के कई विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर परीक्षक एवं पी-एच0डी0 परीक्षक के रूप में भी सफलतापूर्वक कार्य किया है और कर रहीं हैं।
-सम्प्रति देश का प्रतिष्ठित पीयर-रिव्यूड त्रैमासिक शोध-जर्नल ‘शोध-धारा’ जिसके अब 30 अंक प्रकाशित हो चुके हैं, प्रधान सम्पादिका के रूप में अपना सहयोग प्रदान कर रहीं हैं।
-बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की पाठ्यक्रम समिति की सदस्य
-गत अनेक वर्षों से रेंजर लीडर का दायित्व
-पुस्तकालय समिति की संयोजक/प्रभारी
-राष्ट्रीय सेमिनार की निदेशक
-आपने स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर छात्र/छात्राओं की सुविधा के लिए कुल 5 पुस्तकों का डॉ0 राजेश चन्द्र पाण्डेय के साथ मिलकर संपादन किया।
डॉ0 राजेश चन्द्र पाण्डेय- डॉ0 राजेश चन्द्र पाण्डेय ने महाविद्यालय के हिन्दी विभाग में दिनाँक 05/10/2001 को प्रवक्ता पद पर कार्यभार ग्रहण किया। डॉ0 राजेश ने उदय प्रताप कालेज, वाराणसी से स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पी-एच0डी0 की डिग्री प्राप्त की। डॉ0 पाण्डेय अस्थायी रूप से वर्ष सितम्बर 1998-मार्च 2001 तक बापू महाविद्यालय नौगाँव में अध्यापन कार्यरत रहे। इसी अवधि में उन्होने आकाशवाणी छतरपुर म0प्र0 में आकस्मिक उद्घोषक ;ब्ंेनंस ब्वउचवेमद्ध के पद का भी दायित्व निर्वाहन किया। आपने उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग, प्रयागराज से चयनित होकर दिनांक 22 अक्टूबर 2021 को प्राचार्य पद का दायित्व ग्रहण किया। डॉ0 राजेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। डॉ0 पाण्डेय ने अपने आगमन के बाद से विभाग के अकादमिक वातावरण में नवीनता का सूत्रपात किया। शिक्षण दायित्व के निर्वहन के साथ-साथ उन्होने छात्र/छात्राओं को अन्य शैक्षणिक गतिविधियों एवं अकादमिक गतिविधियों से गहनता के साथ जोड़ा। छात्रों के भीतर बहुमुखी प्रतिभा को तराशने एवं उन्हे शिक्षा जगत की प्रतिस्वर्धा में गहनता के साथ उतारने में भी भूमिका निभाई। डॉ0 राजेश की अन्य प्रमुख गतिविधियाँ इस प्रकार रही-
-डॉ0 राजेश ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर छात्र/छात्राओं की सुविधा के लिए कुल 5 पुस्तकों का विभागाध्यक्ष डॉ0 नीलम मुकेश के साथ मिलकर संपादन किया।
-महाविद्यालय में रोवर्स/रेंजर्स की गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हुए सत्र 2003-04 एवं 2004-05 में विश्वविद्यालय एवं अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर विजेता तथा उपविजेता की शील्ड महाविद्यालय को दिलाने में गंभीर प्रयास किया।
-शोध की दिशा में गंभीरतापूर्वक प्रयास करते हुए डॉ0 राजेश ने कुल चार शोधार्थियों को शोध निर्देशक के रूप में निर्देशित किया। ध्यातव्य है सत्र 2012-13 में चारों शोध छात्रों को पी0एच0डी0 उपाधि प्राप्त हो गई है।
-सत्र 2006-07 में डी. लिट्. की उपाधि हेतु पंजीकरण कराया है। डी0 लिट्0 के विषय पर कार्यरत है। शोध समिति की बैठक में विषय पर अन्तिम निर्णय शेष है।
-डॉ0 राजेश ने सत्र 2004-05 में एक शोध जर्नल ‘शोध धारा’ ;ैभ्व्क्भ्.क्भ्।त्।द्ध का प्रकाशन प्रारंभ किया जो कि मानविकी एवं समाज विज्ञान के कुल 22 विषयों पर केंद्रित है वर्तमान में यह जर्नल पीयर रीव्यूड की श्रेणी में सम्मिलित है।
-डॉ0 राजेश ने देश के कई विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर परीक्षक एवं पी-एच0डी0 परीक्षक के रूप में भी सफलतापूर्वक कार्य किया है और कर रहे है।
-डॉ0 राजेश को देश की कई प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।
-देश के ख्याति प्राप्त एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जर्नलों आदि में कई लेख एवं रचनाएं प्रकाशित।
-वर्ष 2013 में विदेश यात्रा संपन्न।
-वर्ष 2013 में विश्व हिन्दी सम्मान, बैंकाक, थाईलैण्ड में सम्मानित होकर विभाग के सम्मान में वृद्वि की।
डॉ0 वीरेन्द्र सिंह यादव- डॉ0 वीरेन्द्र सिंह यादव ने महाविद्यालय दिनाँक 17/08/2004 को प्रवक्ता पद पर कार्यभार ग्रहण किया। डॉ0 वीरेन्द्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से स्नातक, स्नातकोत्तर एवं डी0फिल0 की डिग्री प्राप्त की। डॉ0 वीरेन्द की अन्य प्रमुख गतिविधियाँ इस प्रकार रही-
-विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में 1000 से अधिक लेखों, शोध आलेखों का
-सौ से अधिक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनारों में सक्रिय भागीदारी
-20 से अधिक सम्पादित पुस्तकें
-3 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की शोध परियोजनाएं
-4 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित सेमिनारों को आयोजित किया
-एसोसिएट, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला, हि0प्र0
-‘‘कृतिका’’ नामक अन्तर्राष्ट्रीय शोध जर्नल का सम्पादन
-5 राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित
सम्प्रति - शकुन्तलादेवी विकलांग विश्वविद्यालय, लखनऊ में कार्यरत
डॉ0 राम प्रताप सिंह- आपने 28 जून 2005 को हिन्दी विभाग प्रवक्ता के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। पठन-पाठन के साथ-साथ आपका सहयोग महाविद्यालय की पाठयेत्तर गतिविधियों में भी रहा है। आपकी अब तक की उपलब्धियां निम्न प्रकार है-
-पी-एच0डी0 की उपाधि ‘धर्मवीर भारती और उनका साहित्य’ विषय पर प्राप्त की।
-आपके अब तक लगभग 22 आलेख देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं और जर्नलो में प्रकाशित हो चुके है।
-आपने लगभग 40 संगोष्ठियों और कार्यशालाओं में भागीदारी की।
-दैनिक समाचार पत्रों में भी आपके अनेक लेख प्रकाशित है।
-आपकी कविताओं का प्रसारण गोरखपुर आकाशवाणी केन्द्र से प्रसारित हुआ।
-पाठ्य सहगामी क्रियाओं में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम का दायित्व 17 दिसम्बर 2009 से 16 दिसम्बर 2012 तक निर्वहित किया।
-पर्यावरण संरक्षण हेतु आपने लगभग 1000 पौधारोपण में सहयोग किया।
-रक्तदान जैसे पुनीत कार्य में भी आपने अनेक बार सहभागिता की।
-शोध की दिशा में गंभीरतापूर्वक प्रयास करते हुए डॉ0 रामप्रताप ने कुल तीन शोधार्थियों को शोध निर्देशक के रूप में निर्देशित किया।
-आपकी अब तक 03 पुस्तके प्रकाशित हो चुकीं हैं।
-आप सत्र 2015-16 से एन.सी.सी. के प्रभारी का दायित्व का भी निर्वहन कर रहे हैं।
डॉ0 नीरज कुमार द्विवेदी- डॉ0 नीरज कुमार द्विवेदी दयानन्द वैदिक महाविद्यालय में मानदेय प्रवक्ता (हिन्दी) के रूप में सत्र 2010-2011 (दिनांक 11.11.2010) से 07.03.2019 तक मानदेय प्रवक्ता के रूप में और दिनांक 08.03.2019 से स्थाई सहायक आचार्य के रूप में अद्यतन कार्यरत हैं। डॉ0 द्विवेदी ने उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से ग्रहण की। आपने अपनी शोध उपाधि डी0फिल0 ‘‘श्रीलाल शुक्ल के कथा साहित्य में व्यंग्य के सर्जनात्मक प्रयोग का अध्ययन’’ विषय पर सन् 2006 में प्राप्त की। अपने इस शोध कार्य में उन्होने व्यंग्य विधा के पुरोधा श्रीलाल शुक्ल के साहित्य पर गंभीर और विस्तृत विवेचन करते हुए हिन्दी साहित्य जगत को नवीन प्राप्तियों से परिचित कराया। डॉ0 द्विवेदी की अब तक की गतिविधियां निम्नवत् हैं-
-शोधावधि में ही आपने छम्ज्;श्रत्थ्द्ध परीक्षा भी उत्तीर्ण की।
-आपके 30 से अधिक लेख देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं शोध जरनलों और पुस्तकों में प्रकाशित।
- ‘‘श्रीलाल शुक्ल: सर्जनात्मक व्यंग्यकार’’ शीर्षित पुस्तक प्रकाशित।
- आपने 50 से अधिक राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी की।
- आपने ‘अवसर’ नामक साहित्यिक पत्रिका और ‘सिटी गाईड’ नामक मासिक पत्रिका में सम्पादकीय सहयोग किया।
डॉ0 रविप्रकाश पाण्डेय - डॉ0 रविप्रकाश पाण्डेय 20 मई 2022 से विभाग में सहायक आचार्य के रूप में अनवरत् सहयोग प्रदान कर रहे हैं। पाण्डेयजी ने उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से ग्रहण की। आपका समकालीन हिन्दी कहानी पर आधारित शोध कार्य पूर्ण हो चुका है।
- शोधावधि में ही आपने NET(JRF) परीक्षा भी उत्तीर्ण की।
- आपके अनेक लेख/शोधपत्र देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं शोध जरनलों और पुस्तकों में प्रकाशित।
- आपने अनेक राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में सक्रिय भागीदारी की।